नवांशहर: हाल ही में धार्मिक भावनाओं को लेकर नवांशहर हल्के में सडकों पर उतरे लोग चिंता का विषय है। कुछ लोग अपने राजनीतिक स्वार्थों के कारण दूसरों के धर्म के विरुद्ध आपत्तिजनक शब्द बोलकर संपूर्ण समाज का नुकसान कर देते हैं। भला कौन चाहता है ऐसे मंदी के दौर में अपनी दुकानें बंद करना। स्कूली बच्चों की पढ़ाई बर्बाद करना भी किसी के फायदे की बात नहीं है।
समाज में किसी भी तरह की अशांति फैलाने वालों के विरुद्ध सरकार को सख्ती से पेश आना चाहिए। चाहे वह किसी भी समुदाय का आदमी हो, सामूहिक उन्नति के लिए समाज में सद्भावना और सहभावना का पाठ सीखना और सिखाना बहुत ही जरूरी है। आज के नवयुग में जात पात का भेदभाव कोई महत्व नहीं रखता। इसको बढ़ावा देने वाले लोग देश हित में नहीं है। सरकारों को चाहिए कि सब को बराबर माना जाए। सरकारी दस्तावेज़ों में जाति लिखने की बजाय भारतीय या विदेशी ही लिखा जाये। आस्था एक निजी मामला है और इसे पब्लिक में जाकर दूसरों पर थोपना भी उचित नहीं है।